गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज: गुरुग्राम की एक अदालत ने करोड़ों की ज़मीन सौदे में धोखाधड़ी और साज़िश के मामले में एक षड्यंत्र के तहत पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए गुरुग्राम के वरिष्ठ अधिवक्ता रामानंद यादव को नियमित ज़मानत दे दी है। एडीजे अदालत ने यह ज़मानत भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 483 के तहत दी गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त मामले में तथ्यों के आधार पर बताया गया है कि 15 मार्च 2024 को एसडीएम बदशाहपुर के कार्यालय में एक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें कई निजी कंपनियों और व्यक्तियों के खिलाफ गांव सिलोखरा में बने अर्पणा आश्रम से संबंधित साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की मांग की गई थी।
*क्या था मामला*
उपरोक्त मामले में विवादित संपत्ति का रकबा करीब 192 कनाल 16 मरला का है, जो कि राजस्व रिकॉर्ड की जमाबंदी के अनुसार अपरना आश्रम सोसाइटी के नाम पर दर्ज थी और जिस पर एक योग आश्रम चलाया जा रहा था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि इसमें एक केएस पठानिया नामक व्यक्ति ने 14 दिसंबर 2020 को तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर अमित खत्री से मैन्युअल सेल डीड पंजीकरण की अनुमति ली थी। जिसमें लंबित मुकदमों की जानकारी छुपाई गई थी। बाद में मामले का खुलासा होने पर यह अनुमति रद्द कर दी गई थी। लेकिन फिर भी 24 दिसंबर 2020 को आश्रम के 29 अनुयाइयों द्वारा उक्त जमीन का ₹55 करोड़ में सौदा साजबाज होकर रजिस्टर करवा लिया गया था। शिकायत पर जांच पड़ताल करते हुए इसमें कई लोगों को पुलिस ने पकड़ा था जिनमें वरिष्ठ वकील को भी पुलिस ने पड़कर जेल भिजवाया था।
*वरिष्ठ वकील ने रखा अदालत में अपना पक्ष*
वरिष्ठ वकील रामानंद यादव की तरफ से पेश वकील विशाल गुप्ता ने अदालत को बताया कि रामानंद यादव जो इस विवादित सेल डीड से प्रत्यक्ष रूप से न तो विक्रेता हैं और न ही खरीदार, वह इस मामले में 11 अप्रैल 2025 से न्यायिक हिरासत में हैं। उन्होंने अपने ज़मानत आवेदन में दावा किया कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है। वे पिछले करीब 36 वर्षों से गुरुग्राम में वकालत कर रहे हैं और करीब 2000 मामलों में वादकारियों की पैरवी कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे वरिष्ठ नागरिक हैं और हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी रोग जैसी कई बीमारियों से पीड़ित हैं।
जिसपर एडीजे सुनील कुमार दिवान की अदालत ने ज़मानत देते हुए कहा कि चूंकि आरोपी न तो विक्रेता हैं और न ही खरीदार और सारा मामला दस्तावेज़ी साक्ष्यों पर आधारित है, इसलिए उनकी निरंतर हिरासत का कोई औचित्य नहीं बनता। साथ ही सह-आरोपियों अमित कट्याल और कैलाश नाथ चतुर्वेदी को पहले ही पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से ज़मानत मिल चुकी है। जबकि सरकारी वकील धनंजय कुमार ने जमानत का विरोध किया ।
*क्या है अदालत परिसर में इस मामले पर चर्चाएं*
गुरुग्राम जिला अदालत परिसर में इस मामले को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है। वरिष्ठ वकीलों का कहना था कि इस मामले में वरिष्ठ वकील को एक भाजपा नेता ने षड्यंत्र के तहत फसवाया गया है, वकीलों का कहना था कि वरिष्ठ वकील रामानंद यादव ने इस मामले में आरोपी बनाए गए लोगों को कोई कानूनी सलाह या ओपिनियन अपनी फीस लेकर दी हो। यह उनका पेशा है। मामला अदालत में चल रहा है। उन्हें अदालत से न्याय जरूर मिलेगा।